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कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " व्यथा अँगड़ाई "

 यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -











व्यथा अँगड़ाई 


प्राणों की इस पर्णकुटी में ,

इतनी पीर समाई कैसे ?

घृणा - उपेक्षा सहकर भी यह 

व्यथा आज अँगड़ाई कैसे ?


कितनी बरती थी होशियारी ,

कितनी गर्द - गुबार बुहारी ,

ख्वाहिश को बंदी रख कर की 

भावुक मन की पहरेदारी ;


पर किस दुर्बलता के पल ने ,

किस छलना के निर्मम छल ने ,


आँसुओं की बाढ़ में न जाने ,

यह ज्वाला सुलगाई कैसे ?

प्राणों की इस पर्णकुटी में ,

इतनी पीर समाई कैसे ?  **


                       - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

2 comments:

  1. बहुत बहुत सुन्दर बहुत सराहनीय

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  2. आपका बहुत - बहुत धन्यवाद , आदरणीय आलोक सिन्हा जी |

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