tag:blogger.com,1999:blog-7605911840273335054.post7982899253590322183..comments2023-07-16T19:11:51.117+05:30Comments on कवि श्रीकृष्ण शर्मा (Kavi Shrikrishna Sharma): कवि देवेन्द्र शर्मा " इन्द्र " - “ ते हि नो दिवसाः गताः ” और “ फागुन के हस्ताक्षर ” ( भाग - 1 )shrikrishna sharmahttp://www.blogger.com/profile/13978419434339713790noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7605911840273335054.post-25496206216326169592020-12-10T18:29:02.127+05:302020-12-10T18:29:02.127+05:30आदरणीय आलोक सिन्हा जी , आप की बातें पढ़ कर मेरी आँख...आदरणीय आलोक सिन्हा जी , आप की बातें पढ़ कर मेरी आँखें नम हो गईं | मुझे लगा की मैं पिता श्री की आत्मा से मिल रहा हूँ | आपका बहुत - बहुत आभारी हूँ | shrikrishna sharmahttps://www.blogger.com/profile/13978419434339713790noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7605911840273335054.post-58386970475614068882020-12-10T09:22:55.858+05:302020-12-10T09:22:55.858+05:30पूरा लेख दो बार पढ़ा । आदरणीय जगत प्रकाश जी व सोम ...पूरा लेख दो बार पढ़ा । आदरणीय जगत प्रकाश जी व सोम ठाकुर जी से मैं भी परिचित हूं । वह अक्सर बुलन्दशहर घर आया करते थे । जब जब देखा ताज किसी की सुधियां घिर आईं और ये अखियां भर आईं ये गीत मैंने घर पर ही सुना था । लेख पढ़ कर सच बहुत अच्छा लगा ।आलोक सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/17318621512657549867noreply@blogger.com