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6.10.20

लघुकथाकार पवन शर्मा की लघुकथा - " बाप , बेटे और माँ "

 पवन शर्मा की पुस्तक  -  " हम जहाँ हैं "  से ली गई है 











बाप , बेटे और माँ

 

बूढ़ा बाप दर्द के मारे दुहरा हो गया और पेट पकड़कर बिस्तर पर बैठ गया | तीनों बेटे पलंग के पास अपने बाप को देख रहे थे | तीन दिन से यही हाल है | बड़ा बेटा डॉक्टर की सलाह पर जो भी दवा – गोली दे देता , बाप खा लेता , पर दर्द कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था |

          ‘ आज बड़े अस्पताल ले चलते हैं पिताजी को – इलाज करवा लें | ’  बड़ा बेटा बोला |

          ‘ और नहीं तो क्या – कहीं कुछ हो गया तो दुनियाँ कुछ से कुछ बोलेगी | ’  छोटे बेटे ने कहा |

          बाप का दर्द जरा कम हुआ | वह सीधा होकर पलंग पर बैठ गया | उसने पीने के लिए पानी माँगा | छोटा बेटा दौड़ कर एक गिलास पानी ले आया | बाप ने गट – गट करते पूरा गिलास खाली कर दिया |

          ‘ तू चले जाना पिताजी के साथ अस्पताल | आज मुझे ऑफिस जल्दी जाना है | ’  बड़े बेटे ने छोटे बेटे से कहा |

          ‘ मैं ’  छोटा बेटा चौंका |

          ‘ और नहीं तो क्या ... तू ही चला जा | आज मुझे भी काम है , नहीं तो मैं ही चला जाता | ’  मँझले बेटे ने बड़े बेटे का समर्थन किया |

          ‘ पर मैं तो आज तक अस्पताल नहीं गया – और फिर मैं अकेला कैसे संभाल पाउँगा पिताजी को | ’  छोटे बेटे ने कहा |

          ‘ तो फिर पिताजी को कौन ले जाएगा ? ’ मँझले बेटे ने प्रश्न किया|

          तीनों बेटों ने एक - दूसरे की तरफ देखा |

          ‘ तुम लोग परेशान मत होओ ... मैं तुम्हारी माँ के साथ चला जाऊँगा|’  बाप ने धीमें स्वर में कहा |

          तीनों बेटों के सिर पर से जैसे रखा मनो वजन हट गया हो ! **  


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

 


3 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद सुनील जी,,, लघुकथा प्रकाशित करने के लिए 🙏

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद सुनील जी,,, लघुकथा प्रकाशित करने के लिए 🙏

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